मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के मनोविज्ञान के प्रोफेसर पीटर क्लॉ कहते हैं कि परीक्षाओं के दौरान छात्रों का मनोविज्ञान कुछ अलग तरीके से काम करता है, जिसे समझे जाने की जरूरत है। बोर्ड की परीक्षा दे रहे छात्रों और उनके अभिभावकों के लिए यह सुझाव बेहद कारगर साबित हो सकता है…
परीक्षाओं के मौसम में बच्चों के ऊपर मनोवैज्ञानिक दबाव हावी हो जाते हैं। इनमें सबसे प्रमुख है समय पर विषय को खत्म करना और परीक्षा में अच्छे अंक लाना। इस चक्कर में वे अपनी क्षमताओं से परे जाकर काम करने लगते हैं और डिप्रेशन का शिकार हो जाते हैं।
ऐसे में छात्रों के साथ ही उनसे जुड़े हरेक शख्स की जिम्मेदारी बनती है कि वे इन मनोवैज्ञानिक बदलावों को समझें। साथ ही, उनका हौसला बढ़ाएं और सही तरीके से मार्गदर्शन करें। इससे न सिर्फ उन्हें अनावश्यक दबाव से बाहर निकलने में मदद मिलेगी, बल्कि वे अपनी तैयारी को भी सही दिशा दे पाएंगे। इन सबके अलावा, उन्हें हासिल करने योग्य लक्ष्य बनाने के तरीकों के बारे में भी बताएं।
रिवीजन में सहायता
रिवीजन करने के लिए आसान विषयों से शुरुआत करना छात्रों को सहज लगता है। हालांकि, यह सबसे अच्छा तरीका नहीं है। बच्चों को बतलाएं कि तरोताजा दिमाग तेजी से काम करता है, इसलिए रिवीजन के दौरान कठिन विषयों को पहले निपटाना चाहिए और आसान विषयों को बाद में परीक्षा के तनाव, जो आगे चलकर डर में बदल जाता है, से बचने के लिए छात्रों के विचारों पर नियंत्रण करने में उनकी हर संभव मदद करनी चाहिए। इसमें उनके माता-पिता, परिवार के अन्य सदस्य, शिक्षक और दोस्त महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
क्षमताओं का एहसास कराएं
हौसलाफजाई करें
परीक्षा के दौरान छात्रों से जुड़े हर शख्स का सकारात्मक रवैया उन्हें मानसिक रूप से मजबूत बनाने में सहायक हो सकता है। सकारात्मक बातें करें और परीक्षार्थियों को खुश रखने का प्रयास करें। साथ ही, समय-समय पर उनकी हौसलाफजाई करते रहें।
प्रदर्शन का आकलन
